शारदीय नवरात्रि पूजा कैसे करते हैं?

शारदीय नवरात्रि पूजा कैसे करते हैं? – संपूर्ण मार्गदर्शिका

शारदीय नवरात्रि – नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित होता है। इसमें साल में चार बार नवरात्रि मनाई जाती है, जिनमें से शारदीय नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है, जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में पड़ती है। इस त्यौहार में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है और इसे दसवें दिन दशहरा के रूप में मनाया जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि शारदीय नवरात्रि पूजा कैसे करते हैं और इसके साथ जुड़े महत्वपूर्ण अनुष्ठानों के बारे में।

शारदीय नवरात्रि पूजा कैसे करते हैं?
शारदीय नवरात्रि पूजा कैसे करते हैं?

नवरात्रि पूजा का महत्व – शारदीय नवरात्रि

शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है क्योंकि यह आत्म-शुद्धि और आंतरिक शक्ति की प्राप्ति का समय माना जाता है। भक्तजन माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करके उनकी कृपा प्राप्त करते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। यह समय आत्मिक उन्नति और शक्ति प्राप्ति का भी माना जाता है।

शारदीय नवरात्रि – पूजा की तैयारियाँ

नवरात्रि पूजा करने के लिए सबसे पहले पूजा की सही तैयारी करना बहुत आवश्यक है। पूजा की सही विधि और सामग्री से माँ दुर्गा की आराधना प्रभावी मानी जाती है। आइए जानते हैं कि शारदीय नवरात्रि पूजा की तैयारियाँ कैसे करें:

  1. साफ-सफाई: पूजा स्थल और घर को अच्छी तरह से साफ करें। घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए घर की दीवारों और दरवाजों पर गंगाजल छिड़कें।
  2. माँ दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर: माँ दुर्गा की सुंदर प्रतिमा या तस्वीर पूजा स्थल पर रखें। इसे साफ और पवित्र स्थान पर स्थापित करें। ध्यान रहे कि प्रतिमा का मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
  3. घटस्थापना (कलश स्थापना): नवरात्रि पूजा में घटस्थापना का विशेष महत्व है। घट का मतलब कलश होता है और इसे शक्ति का प्रतीक माना जाता है। घटस्थापना के लिए एक मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं और उसके ऊपर तांबे या मिट्टी का कलश रखें। कलश के मुख पर नारियल और आम के पत्ते रखें और इसे कपड़े से ढक दें।
  4. सामग्री तैयार करें: पूजा के लिए सामग्री जैसे नारियल, फूल, फल, दूर्वा, धूप, दीपक, कपूर, चावल, रोली, अक्षत, इत्र, और पंचामृत आदि तैयार रखें।
  5. पूजा स्थल: घर के किसी शांत और साफ कोने को पूजा स्थल के रूप में चुनें। पूजा के दौरान पूजा स्थल को फूलों से सजाएं और माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की तस्वीरें वहां रखें।

घटस्थापना की विधि

नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना करना अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। यह शुभ कार्य करने से पहले मुहूर्त का ध्यान रखना चाहिए। घटस्थापना करने का सही समय और विधि नीचे दी गई है:

  1. मुहूर्त: घटस्थापना का मुहूर्त विशेष रूप से प्रातः काल में होता है। इसे शुभ समय में करना चाहिए ताकि माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त हो।
  2. संपूर्ण विधि:
  • सबसे पहले पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं।
  • इसके ऊपर तांबे या मिट्टी का कलश स्थापित करें।
  • कलश के मुख पर आम के पत्ते और नारियल रखें।
  • कलश पर रोली और अक्षत का तिलक करें।
  • घटस्थापना के बाद माँ दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर के समक्ष दीपक जलाएं और उनकी आराधना करें।

नवरात्रि के नौ दिन: माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा

शारदीय नवरात्रि में नौ दिनों तक माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर दिन माँ के एक अलग रूप की आराधना की जाती है और हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है।

1. पहला दिन: शैलपुत्री पूजा

  • माँ शैलपुत्री पर्वतों की पुत्री हैं और नवरात्रि के पहले दिन उनकी पूजा की जाती है। इनकी पूजा से हमें साहस और धैर्य प्राप्त होता है।

2. दूसरा दिन: ब्रह्मचारिणी पूजा

  • दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ये तपस्या और साधना का प्रतीक हैं और हमें संयम और आत्मविश्वास की शिक्षा देती हैं।

3. तीसरा दिन: चंद्रघंटा पूजा

  • तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इनका रूप शांति और सौम्यता का प्रतीक है, लेकिन असुरों के विनाश के लिए ये विकराल रूप धारण करती हैं।

4. चौथा दिन: कूष्मांडा पूजा

  • माँ कूष्मांडा की पूजा चौथे दिन होती है। यह सृष्टि की उत्पत्ति की देवी मानी जाती हैं और हमें रचनात्मकता और सकारात्मक ऊर्जा का वरदान देती हैं।

5. पांचवां दिन: स्कंदमाता पूजा

  • माँ स्कंदमाता की पूजा पांचवे दिन होती है। ये भगवान कार्तिकेय की माता हैं और प्रेम और करुणा का प्रतीक मानी जाती हैं।

6. छठा दिन: कात्यायनी पूजा

  • छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा होती है। इनकी पूजा करने से शत्रु और बाधाओं का नाश होता है और भक्तों को न्याय और शक्ति प्राप्त होती है।

7. सातवां दिन: कालरात्रि पूजा

  • माँ कालरात्रि की पूजा सातवें दिन होती है। ये सभी बुराइयों का नाश करने वाली और भक्तों को भय से मुक्त करने वाली देवी हैं।

8. आठवां दिन: महागौरी पूजा

  • आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है। इनकी पूजा से पवित्रता और शुद्धता की प्राप्ति होती है।

9. नौवां दिन: सिद्धिदात्री पूजा

  • नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा होती है। यह सभी सिद्धियों की दात्री मानी जाती हैं और इनकी पूजा से भक्तों को सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

नवरात्रि व्रत की विधि

शारदीय नवरात्रि में कई भक्तजन व्रत रखते हैं। व्रत के दौरान भक्त केवल फल, दूध, और सादे भोजन का सेवन करते हैं। व्रत रखने की विधि और नियम इस प्रकार हैं:

  1. व्रत की शुरुआत: व्रत की शुरुआत घटस्थापना के साथ होती है। भक्तजन पहले दिन पूजा करके और माँ दुर्गा से आशीर्वाद लेकर व्रत शुरू करते हैं।
  2. व्रत के दौरान खानपान: व्रत के दौरान तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन और मांसाहार का सेवन नहीं किया जाता। भक्त केवल फल, साबूदाना, सिंघाड़े का आटा, आलू, और कुट्टू का आटा से बने व्यंजन खाते हैं।
  3. पूजा और ध्यान: व्रत के दौरान भक्तजन हर दिन माँ दुर्गा की आरती और पूजा करते हैं। वे माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं।
  4. व्रत का समापन: व्रत का समापन अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन करके किया जाता है। भक्तजन कन्याओं को भोजन कराते हैं और उन्हें वस्त्र और उपहार देते हैं।

कन्या पूजन का महत्व

नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। यह पूजा अष्टमी या नवमी के दिन की जाती है। भक्त नौ छोटी कन्याओं और एक बालक को भोजन कराते हैं और उनका पूजन करते हैं। कन्याओं को देवी दुर्गा का स्वरूप माना जाता है, और उन्हें श्रद्धा से भोजन कराने से माँ दुर्गा प्रसन्न होती हैं।

कन्या पूजन की विधि

  1. साफ-सफाई: सबसे पहले कन्याओं के लिए बैठने की व्यवस्था करें। जगह को गंगाजल से शुद्ध करें और वहाँ आसन बिछाएँ।
  2. कन्याओं का स्वागत: कन्याओं का स्वागत करें और उनके पैरों को धोकर उनका पूजन करें। उन्हें रोली और अक्षत से तिलक लगाएँ।
  3. भोजन: कन्याओं को पूरी, हलवा, चने का प्रसाद और फल खिलाएँ। इसके बाद उन्हें वस्त्र या उपहार देकर विदा करें।
  4. आशीर्वाद: कन्याओं से आशीर्वाद लें, इसे माँ दुर्गा की कृपा प्राप्ति का प्रती

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